देहरादून। उत्तराखंड प्रहरी ब्यूरो,  

दिनांक 23 मार्च 2023
कोर्ट से आए आदेश में लिखा है और संक्षेप में मामले के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है।
 क्या था मामला ?
प्रार्थी उमा शंकर मिश्रा की मुलाकात विपक्षी संख्या 1. ललित गौड़ के माध्यम से विपक्षी संख्या 2. यशदीप कुमार से हुई।
जिसने बताया कि उसकी क्यारकुली बट्टा में 26 बीघा जमीन है जिसका भू – उपयोग परिवर्तित करना चाहता है जिस कार्य हेतु कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से मिलना है और विपक्षी संख्या 2 प्रार्थी को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के घर ले गया जहां पर मंत्री जी के पीआरओ आलोक शर्मा से वार्ता हुई।
कुछ समय उपरांत उनके मध्य लेनदेन को मतभेद एवं विवाद की जानकारी मिली जिसके बाद उमा शंकर मिश्रा को ज्ञात हुआ कि उसके कार्यालय से कुछ गायब हो गए। जिस के संबंध में सूचना संबंधित बैंकों आवेदक द्वारा दी गई। दिनांक 08_07_2021 को उक्त चेक दिल्ली में प्रस्तुत किए जाने की जानकारी हुई तथा यह भी ज्ञात हुआ कि चेक यशदीप द्वारा ही खाते में लगाए गए है।
जबकि मिश्रा द्वारा इस संबंध में ललित गौड़ को बताया तो उसने यशदीप के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करने को कहा तथा उक्त मामला जल्दी समाप्त करने का आश्वासन दिया। कुछ समय बाद जब मिश्रा द्वारा ललित व यशदीप से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया। तो उनके द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया। इस मध्य मिश्रा को 138 एनआई एक्ट के अंतर्गत एक नोटिस प्राप्त हुआ। जिसका मिश्रा द्वारा उत्तर प्रेषित किया गया। तदुपरांत भी मिश्रा को निरंतर झूठे मुकदमे में फंसाने व गंभीर परिणाम भुगतने की जानकारी दी जा रही थी।
कोर्ट के हवाले से आए पत्र में मिश्रा ने बताया है कि उक्त प्रकरण में सत्ताधारी नेतागण व अधिकारी सम्मिलित है। और उनके साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। इसलिए उनके द्वारा दिनांक 16 -09- 2021 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को डाक प्रेषित की गई परंतु उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिस पर प्रार्थी मिश्रा द्वारा विपक्षी गण के विरोध संबंधित थाना राजपुर में मुकदमा दर्ज करने के आदेश पारित किए जाने की याचना की गई।
 प्रार्थी मिश्रा द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 156 (3) पर संबंधित थाने से राजपुर से आख्या मंगाने तथा प्रार्थी के अधिवक्ता को सुनने के उपरांत इस न्यायालय द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र दिनांक 15-12 -2021 को खारिज किया गया था। जिसके विरुद्ध प्रार्थी की ओर से निगरानी आयोजित की गई माननीय निगरानी न्यायालय द्वारा प्रार्थी की निगरानी स्वीकार करते हुए इस न्यायालय को पूर्ण उन या पक्षों को सुनने के उपरांत आदेश पारित करने हेतु निर्देशित किया गया।
    कार्ट से आए आदेश पर मुकदमा दर्ज करने के हुए आदेश
अतः माननीय निगरानी न्यायालय द्वारा निगरानी में पारित आदेशों के अनुपालन में तथा प्रार्थना पत्र के वचनों में प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के उपरांत प्रस्तुत मामले में मैं प्रथम दृष्टया सज्ञेय प्रकृति कहां अपराध घटित होना प्रतीत होता है और मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के सही प्रकरण के लिए विवेचना कराए जाने हेतु पर्याप्त आधार है।
प्रार्थी का प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 156 (3) स्वीकार किया जाता है। तदनुसार संबंधित थाना राजपुर के भारसाधक अधिकारी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रार्थी के प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 15 (3) के प्रकाश में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) पंजीकृत कर मामले की नियम अनुसार विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें।

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