उत्तराखंड प्रहरी, ब्यूरो
हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरिद्वार नगर में हिन्दू साम्राज्य दिवस बड़े उत्साहपूर्वक मनाया गया। नगर के सभी पांच मंडलो में कार्यक्रम आयोजित कर वीर शिवाजी के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया।
मध्य हरिद्वार मंडल द्वारा दयानन्द शाखा स्थल सिंहद्वार स्थित पार्क में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सेवा प्रमुख पवन जी ने बताया कि हिन्दू साम्राज्य दिवस संघ के 6 प्रमुख वार्षिक उत्सवों में एक है। उन्होंने कहा कि 6 जून 1674 को हिंदू साम्राज्य की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी। प्रत्येक वर्ष संघ इसे ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाता है। यह दिन पूरे हिंदुस्तान के लिए बड़ा गौरवमयी माना जाता है।
उन्होंने कहा कि शिवजी ने जो उस समय भूमिका निभाई थी वही आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निभा रहा है। शिवाजी महाराज ने हिन्दूओं का जागरण संगठित किया था, उसी प्रकार आज जाति,वर्ग में बांटे हिंदुओं को संघ संगठित करने का काम कर रहा है।
पवन ने कहा कि मुगलों को परास्त करके शिवाजी वापस लौटे थे और उनका सम्राट के रूप में राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन से प्रत्येक वर्ष छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस (हिंदू साम्राज्य दिवस) के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिन्दू साम्राज्य, संस्कृति, सभ्यता और सौहार्द के प्रति जागरूक करना है।
सेवा प्रमुख ने कहा कि शिवाजी के जीवन से धैर्य और विश्वास के साथ संगठित शक्ति का मंत्र सीखने की आवश्यकता है। उत्सव की अध्यक्षता जिला संचालक डॉ. यतींद्र नाग्यान ने की। उधर कनखल मंडल में दादू बाग में तथा ज्वालापुर में भी हिन्दू साम्राज्य दिवस बड़ी श्रद्वाभाव से उतशपूर्वक मनाया गया।
इस मौके पर प्रान्त समाजिक समरसता प्रमुख रमेश उपाध्याय, विहिप प्रांत उपाध्यक्ष प्रदीप मिश्रा,उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति डॉ. दिनेश चंद्र शास्त्री, नगर प्रचारक त्रिवेंद्र, नगर कार्यवाह डॉ अनुराग, सह कार्यवाह बलदेव रावत, नगर व्यवस्था प्रमुख देशराज शर्मा, नगर प्रचार प्रमुख अमित शर्मा, नगर बौद्धिक प्रमुख भूपेंद्र कुमार, नगर सम्पर्क प्रमुख अमित शर्मा, मंडल सह कार्यवाह अमित त्यागी, दयानंद शाखा कार्यवाह शशांक, सह शाखा कार्यवाह मोनू त्यागी, मुख्य शिक्षक कुलदीप, सह मुख्य शिक्षक सुशांत गुप्ता, बस्ती प्रमुख महिपाल सिंह, प्रार्थना प्रमुख डॉ. मनोज किशोर पंत, डॉ. परमिंदर आदि मुख्य रूप से शामिल थे।

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