तिवारी बंधुओ ने दोस्त के थप्पड़ का जवाब उसकी हत्या करके दिया। तिवारी बंधु भाजपा समर्थक तो मृतक समाजवादी पार्टी के समर्थक है। इसे लेकर कानपुर के दौलतपुर गांव में युवक की हत्या के मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिश भी की गई।
कानपुर सजेती के दौलतपुर गांव में हुई रवि की हत्या के बाद पुलिस मामले की जांच में जुटी है। उधर, कांशीराम ट्रामा सेंटर के डॉ. सतीश कुमार और बिधनू सीएचसी के डॉ. राजेश सिंह ने रवि यादव के शव का पोस्टमार्टम किया। पूरी प्रक्रिया की वीडियो फोटोग्राफी भी की गई। सूत्रों के मुताबिक बाईं आंख के आईब्रो के पास सटाकर गोली मारी गई। गोली सिर में पीछे की तरफ फंसी मिली है।
बुधवार को हुई रवि यादव की हत्या के मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। बताया गया कि पीडीए की बैठक में शुभम उर्फ छोटू ने सपा और रवि पर अभद्र टिप्पणी कर दी थी। इस पर रवि ने उसे थप्पड़ जड़ दिया था। इसी का बदला लेने के लिए शुभम ने भाइयों संग मिलकर रवि की हत्या कर दी। इधर, गुरुवार को पुलिस ने हत्यारोपी तीन भाइयों को जेल भेज दिया।
रवि के सपा से जुड़े होने के नाते गुरुवार को पोस्टमार्टम हाउस में पूर्व सांसद राजाराम पाल, पूर्व विधायक मुनींद्र शुक्ला, पूर्व पार्षद अंकित यादव, सपा नेता अनिल सोनकर वारसी समेत बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। पोस्टमार्टम के बाद शाम करीब पांच बजे पुलिस की निगरानी में रवि का शव वाहन से गांव ले जाया गया।
हत्यारोपी सत्ताधारी दल और रवि था सपा का समर्थक
इसके बाद परिजनों ने सूर्यास्त होने का हवाला देकर शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। परिजनों ने पुलिस को बताया कि शुक्रवार को शव का कानपुर देहात के मूसानगर में यमुना नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया जाएगा। तनाव के देखते हुए गुरुवार रात गांव में भारी पुलिस बल तैनात रहा। वहीं, मृतक के चाचा ने कहा कि हत्यारोपी सत्ताधारी दल और रवि सपा का समर्थक था।
हत्यारोपियों के घर से बम और असलहे बरामद, तीन भाई भेजे गए जेल
हत्यारोपी शुभम, मधुरम और मयंक तिवारी को पुलिस ने रात में गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस को देर रात इनके घर के तलाशी के दौरान देसी बम, देसी पिस्टल और दो तमंचे बरामद किए। तीनों हत्यारोपियों को सजेती के बजाय घाटमपुर थाने में रखा गया। उर्सला में तीनों का मेडिकल कराने के बाद गुरुवार को कोर्ट में पेश किया। वहां से तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
हत्यारोपी और मृतक पहले थे दोस्त
रवि यादव और मधुराम त्रिपाठी दोनों दोस्त थे। ग्रामीणों के मुताबिक, रवि पर गैंगस्टर लगने के बाद मधुराम ने उसका साथ छोड़ दिया। इसके बाद दोनों ने अलग-अलग गांव की राजनीति शुरू कर दी। दोनों अपने-अपने कुनबे की पंचायत में सक्रिय भूमिका अदा करने लगे और देखते ही देखते रंजिश की लकीर बढ़ती चली गई।
पुलिस ने बंद कर दिए थे घरों के दरवाजे
रवि का शव हत्यारोपियों के घर से बरामद करने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। वारदात की सूचना के बाद हत्यारोपियों के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई थी। हत्यारोपियों को डर था कि भीड़ उनके घर पर हमला न कर दे। इसलिए हत्यारोपियों ने दहशत फैलाने के इरादे से अपने मकान की छत से कई राउंड गोलियां भी चलाई थीं। मौके पर पहुंचने के बाद डीसीपी साउथ आशीष श्रीवास्तव, एडीसीपी साउथ महेश कुमार ने भीड़ को हटाने का प्रयास किया। लोग नहीं मानें तो एडीसीपी ने लोगों के बीच जाकर उन्हें आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस के फायरिंग किए जाने की बात कही। इसके बाद गांव के तमाम लोगों को उनके घर तक ले गए। फिर उनके घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। इसके बाद शव बरामद कर पाए।
वारदात के दिन कलश यात्रा के दौरान हुआ था विवाद
आपको बता दें कि नमन गुप्ता और मधुरम के बीच दोस्ती है। गांव में बुधवार को कलश यात्रा निकली थी। उसमें इन दोनों के अलावा रवि व एक अन्य अखिलेश उर्फ सोनू भी मौजूद था। उसी दौरान रवि ने मधुरम व अखिलेश से नमन को उसकी बहन से बात न करने के लिए समझाने को कहा था। इस पर मधुरम व अखिलेश ने नमन का पक्ष ले लिया था। इसी पर उनके बीच विवाद हो गया था।
यह था मामला
कलश यात्रा के बाद रवि बाइक से चारा लेने के लिए निकला था। उसी दौरान मधुरम के दरवाजे पर अखिलेश ने उसे रोक लिया और मसाला खिलाने लगा। तभी पीछे से आए मधुरम ने उसे गोली मार दी। इससे रवि यादव की मौके पर ही मौत हो गई थी। इसके बाद जब गांव के लोग दौड़े तो शव घर के अंदर खींचकर गेट बंद कर लिया था।
मृतक के नाम दर्ज हैं लूट और गैंगस्टर समेत तीन केस
पुलिस की मानें, तो मृतक रवि अपराधी प्रवृति का था। उसके खिलाफ सजेती थाने में एक और कानपुर देहात के भोगनीपुर थाने में दो मामले दर्ज हैं। थाना प्रभारी कमलेश राय ने बताया कि आसपास के जिलों से भी उसके केसों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।