फिलहाल पोस्टमार्टम हाउस में बने टीन शेड के नीचे हो रहा है पोस्टमार्टम

एमसीएच बनाने वाली कार्यदायी संस्था कर रही है नए पोस्टमार्टम का निर्माण

हरिद्वार गौरव कुमार। जिला अस्पताल हरिद्वार में आज भी ऐसे विसरो के मर्तबान रखे हुए हैं, जिनकी बाहर लिखी चिट से उनका नाम तक मिट गया है। तीन माह पूर्व हुई बारिश से अचानक अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस की दीवार ढह गई थी। जिसमें अस्पताल प्रशासन की ओर से वर्षों पुराने विसरे रखे गए थे। पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण कार्य चलने के दौरान फिलहाल टीन शेड में ही शवों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक 17-18 मार्च की रात तेज बारिश के चलते अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस की दीवार अचानक ढह गई। जिसमें सुरक्षित रखे विसरे दीवार के बाहर से दिखने लगे थे। इनमें से कुछ विसरे के मर्तबान इतने पुराने हो चुके है, जिनकी पहचान तक मिट गई है। जिला अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. चंदन कुमार मिश्रा ने बताया कि पहचान मिटे विसरो के निस्तारण के लिए जिला अस्पताल की ओर से एसएसपी अजय सिंह को 1 मार्च को पत्र लिखा गया था। जिसमें एसएसपी कार्यालय से 15 मार्च को जवाब आया कि किन-किन थाना क्षेत्रों से संबंधित विसरे अस्पताल में मौजूद है, उनकी सूची उपलब्ध कराएं। डॉ. चंदन मिश्रा ने बताया कि जिला अस्पताल के बगल में हो रहे नए एमसीएच की निर्माणदायी संस्था की ओर से पुराने पोस्टमार्टम हाउस को ध्वस्त कर नया पोस्टमार्टम हाउस बनाया जा रहा है। फिलहाल सभी विसरो को रोशनाबाद स्थित पोस्टमार्टम हाउस में शिफ्ट करा दिया गया है। विसरो के निस्तारण को लेकर एसएसपी कार्यालय से आदेश आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
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*यह होता है विसरा*

-किसी व्यक्ति की मौत के बाद मौत के कारणों को पता लगाने के लिए मृतक के शरीर के कुछ आंतरिक अंगों को सुरक्षित रखा जाता है, इसे विसरा कहते हैं। बिसरा का रासायनिक परीक्षण करने के बाद मौत की वजह स्पष्ट हो जाती है। जिला अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. चंदन कुमार मिश्रा ने बताया कि किसी व्यक्ति का शव देखने पर उसकी मृत्यु संदिग्ध लगे या उसे जहर देने की आशंका जताई जा रही हो तो उस व्यक्ति का विसरा सुरक्षित रख लिया जाता है। बाद में जांच के बाद स्थिति का पता लगाया जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो मानव शरीर के अंदरुनी अंगों फेफड़ा, किडनी, आंत को विसरा कहा जाता है।
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