हरिद्वार के इन नामी कॉलेजों में नकल करते हुए 16 दबोचे, मचा हडकंप
कुलपति प्रोफेसर ध्यानी के जाते ही श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की परीक्षाओं पर नकल माफिया हुए हावी
हरिद्वार / बहादराबाद 27 मार्च । उत्तराखंड प्रहरी ब्यूरो,
हरिद्वार के कालेजों में चल रही परीक्षा के दौरान उड़न तश्तरी की छापेमारी से कॉलेजों पूरे जिले में हड़कंप मच गया।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति डॉ पीपी ध्यानी की विश्वविद्यालय से विदाई रिटायर के बाद से ही हरिद्वार जनपद में नकल माफिया सक्रिय हो उठा है। इमली खेड़ा, धनोरी, बढेरी राजपूतान, मध्य हरिद्वार स्थित डिग्री कॉलेजों में लगभग दो दर्जन के करीब नकलची पकड़े गए है।
सूत्रों की माने तो महाविद्यालय की मिलीभगत और विश्वविद्यालय की ढीलाई के चलते 1 डिग्री कॉलेज में समूह बनाकर नकल करते छात्रों को पकड़ा गया है।
इनमें फोनिक्स इंस्टिट्यूट इमली खेड़ा में 13 कोर कॉलेज में 02 एस.एम.जे.न कॉलेज हरिद्वार में 01 धनोरी डिग्री कॉलेज में 05 छात्र नकल करते पकड़े गए हैं।
सोचने का विषय यह है कि राज्य सरकार के देश के सबसे सख्त नकल विरोधी कानून जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु बनाया गया है क्या सरकार विश्वविद्यालय परीक्षाओं को भी नकल विहीन बनाने के लिए कोई कानून बनाएगी ?
इस संबंध में जब श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय टिहरी के नवनियुक्त कुलपति महावीर सिंह रावत से उत्तराखंड प्रहरी द्वारा फोन से पूछा गया तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए उचित कार्यवाही किए जाने की बात कही।
जब उनसे पूछा गया कि क्या पकड़े गए छात्रों के खिलाफ पूर्व में भी कोई कार्यवाही होती रही है तो कुलपति ने उक्त मामले पर पैनल बनाकर आगे कार्यवाही करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मामले का अध्ययन किया जाएगा और विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को पूर्णता नकल विहीन बनाया जाएगा।
बताते चले कि प्रदेश में इस वक्त निजी संस्थानों/डिग्री कॉलेजों की संख्या लगभग 500 हो चुकी हैं। लेकिन विश्वविद्यालय और राज्य सरकार अभी तक नकल विहीन परीक्षाओं के लिए कोई खाका तैयार नहीं कर सकी है। इसलिए प्रदेश में निजी संस्थानों में अक्सर नकल के मामले पकड़ में आते रहे है।
” पहले भी हो चुकी है इन मामलों पर कार्यवाही “
विश्वस्त सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि विश्वविद्यालय के कुलसचिव खेमराज भट्ट एवं परीक्षा नियंत्रक हरिद्वार जनपद के रुड़की के संबद्ध कॉलेजों में घूम रहे हैं। किंतु उनके द्वारा कहीं भी नकल विरोधी कार्रवाई नहीं की गई है। जिससे शक की सुई विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर अवश्य उठ रही है। जबकि पूर्व कुलपति प्रोफेसर ध्यानी द्वारा हरिद्वार एवं देहरादून में अपने कार्यकाल के दौरान कई नकल माफियाओं की कमर तोड़ दी गई थी तथा ऑन स्पॉट ही कई कॉलेजों की परीक्षा केंद्र निरस्त कर सेंटर ट्रांसफर भी किए गए।
” नकल माफियाओं में नही है नकल विरोधी कानून का डर “
राज्य सरकार ने हाल ही में उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून किया है लागू किया है बाबजूद उसके भी नीचे नकल का गोरख धंधा करने वाले गिरोह पर कार्यवाही का कोई नही है डर।
” क्या है उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून संबंधी प्रावधान “
इस अध्यादेश में दोषियों हेतु 10 करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान है। इस विनियमन का उद्देश्य परीक्षा की अखंडता को बाधित करने, अनुचित तरीकों का उपयोग करने, प्रश्नपत्रों का खुलासा करने और अन्य अनियमितताओं से जुड़े अपराधों को रोकना है।