संयुक्त कृषि परियोजना: ग्रामीण परिवर्तन की धुरी, नारी शक्ति व सहकारिता से खिला 133 नाली कृषि क्लस्टर


रूद्रप्रयाग। विकासखण्ड कल्जीखाल के बनेखखाल क्षेत्र के ग्राम कुण्ड ने सहकारिता आधारित सामूहिक खेती का एक प्रेरणादायक मॉडल प्रस्तुत किया है, जिसने ग्रामीण परिवर्तन की नई राह खोली है। साधन सहकारी समितियों द्वारा स्थापित ’‘वीर माधो सिंह भण्डारी संयुक्त सहकारी खेती’’ के अंतर्गत 133.14 नाली वर्षों से अनुपयोगी भूमि को पुनः कृषि योग्य बनाकर एक सशक्त कृषि क्लस्टर के रूप में विकसित किया गया।
इस परियोजना में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और प्रगतिशील कृषकों की प्रमुख भूमिका रही, जिनके सामूहिक प्रयासों से यह क्षेत्र आज फूलों और सब्जियों की खुशबू से महक रहा है। कुल 22 कृषक इस परियोजना से जुड़े हैं। फ्लोरीकल्चर के अंतर्गत ग्लेडियोलस, गुलदाउदी और डेज़ी की सफल खेती की जा रही है, जबकि पॉलीहाउस आधारित सब्जियों का उत्पादन किसानों की नियमित आय का नया आधार बना है। अक्टूबर माह से हुई कटिंग में गुलदाउदी के 1,866 तथा ग्लेडियोलस के 2,743 बंच की दिल्ली व देहरादून बाजारों में बिक्री से समिति को 3,96,000 की आय प्राप्त हुई। सहकारिता विभाग ने परियोजना के विस्तार हेतु 66,572.88 की अतिरिक्त धनराशि की मांग भी भेजी है। यह मॉडल साबित करता है कि नारी शक्ति, सहकारिता और नवाचार के संगठित प्रयास से बंजर भूमि भी ग्रामीण समृद्धि और आत्मनिर्भरता का आधार बन सकती है।

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