जिले में मत्स्य उत्पादन में उछाल, किसानों की बढ़ी आमदनी

पौड़ी। पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में मत्स्य पालन अब आजीविका का मजबूत आधार बनता जा रहा है। पौड़ी जनपद में आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों के प्रयोग से मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 में जहां कुल उत्पादन 480 क्विंटल रहा, वहीं 2025-26 के लिए इसे बढ़ाकर 650 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है। जिले में 530 मत्स्य पालक पंजीकृत हैं और हर वर्ष 150-200 प्रशिक्षार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर इस उद्यम से जुड़ रहे हैं। यमकेश्वर, रिखणीखाल, दुगड्डा, थलीसैंण, द्वारीखाल, नैनीडांडा और पाबौ के कई युवा मत्स्य पालकों ने 10 क्विंटल तक उत्पादन कर उदाहरण प्रस्तुत किया है।
पहली बार जिले में गिफ्ट तिलापिया का सीड छत्तीसगढ़ से मंगवाकर उत्पादन शुरू किया गया है, जो तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति मानी जाती है। पंगास, गिफ्ट तिलापिया, आमूर कार्प और ग्रास कार्प जैसी प्रजातियों का संवर्धन स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल पाया गया है। मत्स्य अधिकारी अभिषेक मिश्रा के अनुसार, आधुनिक तकनीक, गुणवत्तापूर्ण सीड और वैज्ञानिक प्रशिक्षण से आने वाले वर्षों में उत्पादन दोगुना होने की संभावनाएँ हैं। नयार नदी को मत्स्य महाशक्ति के रूप में विकसित करने की दिशा में किए जा रहे प्रयास पर्यटन और रोजगार को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
