गुरू की शरण और अर्जित ज्ञान मनुष्य जीवन की है सबसे बड़ी निधि


हरिद्वार। भूपतवाला स्थित स्वामी भागवतानंद गिरि सत्संग आश्रम में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी ओंकारानंद गिरी महाराज की तृतीय पुण्यतिथि पर विशाल संत समागम आयोजित हुआ।
कार्यक्रम में महंत आचार्य प्रमोद महाराज ने कहा कि गुरु की शरण और अर्जित ज्ञान मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी निधि है। धन छीना जा सकता है, पर ज्ञान अमर रहता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन सुधार का अमृत है, जो मन को निर्मल करती है। महामंडलेश्वर राम मुनि महाराज ने कहा कि राम नाम मनुष्य जीवन का सार है। स्वामी कृष्ण देव जी महाराज ने गुरु की शरण को मोक्ष का मार्ग बताया। महंत कमलेशानंद सरस्वती ने कहा कि हरिद्वार की पावन भूमि से होने वाला शंखनाद सनातन का स्वर है। इस अवसर पर अनेक संत महापुरुषों ने श्रद्धांजलि अर्पित की और भक्तों को धर्म, भक्ति व ज्ञान के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।

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