श्रद्धापूर्वक मनाया गया छठ महापर्व, घाटों पर रही भीड़

सुमित तिवारी / उत्तराखंड प्रहरी ब्यूरो,
हरिद्वार। लोक आस्था के महापर्व छठ की श्रद्धा और भक्ति ने सोमवार की संध्या को धर्मनगरी हरिद्वार को सूर्य उपासना की तपस्थली में बदल दिया। गंगा तटों पर पारंपरिक छठ गीतों की मधुर गूंज, ढोलक की थाप और पूजा की पवित्रता ने ऐसा मनोहर दृश्य बनाया कि हरकी पैड़ी और अन्य घाटों पर बिहार और पूर्वांचल के घाटों जैसी भव्यता नजर आई। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालु सुबह से ही गंगा घाटों पर पहुंचने लगे थे। महिलाओं ने पूजा की टोकरी में ठेकुआ, केला, गन्ना, नारियल सहित प्रसाद सजाकर छठी मैया की आराधना की।
शाम होते ही हरकी पैड़ी, गौरीशंकर घाट, वीरभद्र घाट, भीमगोड़ा घाट, कनखल, खड़खड़ी सहित सभी गंगा घाट दीपों की रोशनी से जगमग हो उठे। व्रती महिलाओं ने 36 घंटे के निर्जला उपवास के साथ शुद्धता, आस्था और अनुशासन का परिचय दिया। गंगा के तटों पर पूरा वातावरण ‘छठी मइया के जयकारों’ से गूंज उठा। परिवारों और बच्चों ने दीपदान कर मंगल कामनाएं कीं। घाटों पर मौजूद श्रद्धालुओं ने जैसे ही सूर्य अस्त होते देखा, सामूहिक रूप से अर्घ्य अर्पण किया। यह दृश्य अद्भुत और भावुक कर देने वाला था।
सुरक्षा के किये गए थे विशेष इंतजाम
छठ महापर्व पर हरिद्वार में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। तीर्थ नगरी में पुलिस, पीएसी, जल पुलिस और आपदा प्रबंधन टीम पूरी तरह सतर्क रही। हरकी पैड़ी क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की गई। गोताखोरों की टीम भी घाटों पर तैनात रही। नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने घाटों की साफ-सफाई और व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया। प्रशासन के निर्देश पर गंगा तटों पर चिकित्सा शिविर भी लगाए गए, जहां जरूरत पड़ने पर व्रतियों और श्रद्धालुओं को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया गया।

उत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत का किया प्रदर्शन
छठ मनाने हरिद्वार में न केवल स्थानीय लोग बल्कि बड़ी संख्या में बिहार, झारखंड और पूर्वांचल मूल के परिवार भी शामिल हुए। प्रवासी परिवारों ने गंगा किनारे पारंपरिक लोकगीत गाते हुए उत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत प्रदर्शन किया। श्रद्धालुओं ने बताया कि छठ पर्व जीवन में आत्मिक शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह प्रकृति पूजा का सबसे वैज्ञानिक और अनुशासित पर्व माना जाता है।
आतिशबाजी कर मनाया छठ का जश्न
अर्घ्य के बाद घाटों पर रंगीन आतिशबाजी भी की गई, जिसने छठ महापर्व की शोभा में चार चांद लगा दिए। वहीं आज मंगलवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा। इस दौरान भी प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता की पूरी तैयारी की है। छठ पूजा के इस पावन अवसर पर धर्मनगरी हरिद्वार भक्ति, आस्था और भारतीय लोक परंपरा की अनूठी मिसाल बन गई।
