जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। कांग्रेस की रणनीति कामयाब हुई तो विधानसभा खानपुर से पूर्व सीएम हरीश रावत अपने बड़े पुत्र वीरेंद्र सिंह रावत को उतार सकती है। साथ ही चुनाव साधने के लिए लक्सर से गुर्जर और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से सैनी समाज के नेता को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। क्योंकि वीरेंद्र सिंह रावत खानपुर सीट से जन संपर्क अभियान निरंतर चलाए हुए है।
चुनाव मैदान में हरिद्वार जनपद में जातीय समीकरण बैठाने के लिए वैश्य, राजपूत, गुर्जर, सैनी, पंजाबी, अनुसूचित जाति, जाट, मुस्लिम से प्रत्याशी बनाती है। कांग्रेस हरिद्वार से ब्राह्मण, रानीपुर से राजपूत, भगवानपुर से अनुसूचित जाति, कलियर एवं मंगलौर से मौजूदा विधायक मुस्लिम समाज से होने के चलते हुए उनकी दावेदारी पक्की है। झबरेड़ा सीट आरक्षित है तो अनुसूचित जाति से ही प्रत्याशी बनाया जाएगा। रुड़की सीट से जिताऊ प्रत्याशी के चक्कर में जातीय समीकरण नहीं देखा जाएगा।
अब बात करते है खानपुर, लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से तो खानपुर सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने पुत्र वीरेंद्र सिंह रावत और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से अपनी पुत्री अनुपमा रावत को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में है। लेकिन कांग्रेस की नीतियों के अनुसार हरीश रावत या उनके परिवार से कोई एक व्यक्ति को ही प्रत्याशी बनाया जा सकता है। ऐसे में हरीश रावत ने कई गुर्जर समाज के बड़े नेताओं को कांग्रेस में ज्वाइन कराकर सीट को मजबूत करने का काम किया है। जिसके चलते हुए हरीश रावत चाहते हैं कि उनका पुत्र वीरेंद्र सिंह रावत खानपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरें, क्योंकि पर्वतीय मूल के निवासियों की 15 से 18 हजार वोट खानपुर सीट पर है। इसके अलावा मुस्लिम समाज और राजपूत समाज भारी संख्या में मतदाता है। इसलिए हरीश रावत चाहते हैं कि उनकी हार का बदला लिया जा सके।
अब कांग्रेस की लक्सर सीट से गुर्जर और हरिद्वार ग्रामीण सीट से सैनी समाज व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जा सकता है, क्योंकि जातीय समीकरण संतुलित करना है तो यह सैनी और गुर्जर समाज को नाराज नहीं किया जा सकता है। हालांकि सैनी समाज के कई बड़े नेताओं को भी हरीश रावत कांग्रेस में शामिल करा चुके हैं। इसलिए सभी सीटों पर प्रत्याशी तय करने का काम शुरू हो गया है।