हिंदुओं की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की प्रतीक हैं रामलीला-पंडित अधीर कौशिक

हरिद्वार से रोहित वर्मा की रिपोर्ट –

हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़े ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर ऋषिकेश में सुभाष वनखंडी रामलीला समिति द्वारा वर्षों से आयोजित की जा रही रामलीला पर लगायी गयी रोक हटाने की मांग की है।
श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि हिंदूओं की धार्मिक और सांस्कतिक पहचान की प्रतीक रामलीलाओं के माध्यम से समाज में भगवान राम के आदर्शो का प्रचार प्रसार किया जाता है। प्रशासन द्वारा ऋषिकेश में सुभाष वनखंडी रामलीला समिति द्वारा रामलीला के आयोजन पर रोक लगाने से हिंदू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। रामलीला हिंदू संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। रामलीलाओं के आयोजन से सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बल मिलता है। रामलीला के आयोजन पर रोक लगाना धर्म और परंपरा के खिलाफ है। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि रामलीला के आयोजन पर रोक लगाए जाने से क्षेत्र के लोगों में रोष है। रामलीला के पात्रों पर दर्ज मुकद्मे तुरंत वापस लिए जाएं और क्षेत्र के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए रामलीला समिति को रामलीला का आयोजन करने की अनुमति दी जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में कुलदीप शर्मा, संजय कृष्ण, भागवताचार्य संजय शास्त्री, ब्रजमोहन शर्मा, मनोज ठाकुर, अश्विनी सैनी, पवन कृष्ण शास्त्री समेत कई लोग शामिल रहे।

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